Hidden loan charges you should know,
आजकल ज़्यादातर लोग घर खरीदने, गाड़ी लेने या ज़रूरत पड़ने पर लोन लेते हैं। लोन लेना जितना आसान लगता है, उतना ही मुश्किल तब हो सकता है जब आपको लोन से जुड़े कुछ ऐसे खर्चे होते हैं जिनकी सही जानकारी लोगों को नहीं होती
बैंक अक्सर लोन पर सिर्फ ब्याज दर की बात करते हैं, लेकिन असल में कई और तरह के फीस भी होती हैं, जो आपकी जेब पर भारी पड़ती हैं। इस लेख में हम ऐसे ही 13 तरह के छिपे चार्जेस के बारे में सरल भाषा में समझेंगे और जानेंगे कि उनसे कैसे बचा जा सकता है।
1. प्रोसेसिंग फीस – लोन की फाइल बनाने का खर्च
जब आप लोन के लिए अप्लाई करते हैं, तो बैंक प्रोसेसिंग के नाम पर कुछ फीस लेता है। यह फीस आमतौर पर लोन की रकम का 0.5% से 2% तक हो सकती है।
उदाहरण: अगर आपने ₹5 लाख का लोन लिया, तो प्रोसेसिंग फीस ₹2,500 से ₹10,000 तक हो सकती है।
ध्यान दें – यह फीस नॉन-रिफंडेबल होती है, यानी लोन मिले या ना मिले, पैसा वापस नहीं मिलता।
2. जल्दी लोन चुकाने पर लगने वाला पेनल्टी – प्री-पेमेंट चार्ज
अगर आप लोन की EMI समय से पहले भरना चाहते हैं या पूरा लोन जल्दी खत्म करना चाहते हैं, तो कुछ बैंक प्री-पेमेंट पेनल्टी लगाते हैं।
यह चार्ज 2% से 5% तक हो सकता है।
जान लें – बैंक को समय से पहले पैसा लौटाना भी आपको महंगा पड़ सकता है।
3. EMI लेट होने पर चार्ज – डिले पेमेंट फीस
अगर आप EMI समय पर नहीं भरते तो बैंक लेट फीस लगाता है।
यह चार्ज ₹200 से ₹750 या EMI का 2% तक हो सकता है।
इससे आपका सिबिल स्कोर भी खराब हो सकता है।
4. लोन अप्रूवल का अलग से चार्ज
कुछ बैंक लोन अप्रूव करने के बाद भी एक अलग फीस लेते हैं। ये जानकारी आपको पहले नहीं दी जाती।
इसलिए लोन से जुड़ा हर खर्च जानना जरूरी है।
5. स्टाम्प ड्यूटी और दस्तावेज़ बनाने का खर्च
लोन एग्रीमेंट को कानूनी रूप से वैध बनाने के लिए स्टाम्प ड्यूटी देनी होती है। इसके अलावा डॉक्युमेंट्स तैयार करने के लिए भी बैंक फीस लेता है।
यह फीस हर राज्य में अलग होती है।
6. लोन के साथ बीमा – और उसका छुपा खर्च
बैंक कई बार लोन के साथ बीमा भी दे देते हैं और उसकी कीमत लोन अमाउंट में जोड़ देते हैं।
आपको लगता है आपने ₹5 लाख का लोन लिया, लेकिन उसमें बीमा जोड़कर बैंक ने ₹5.20 लाख लोन दे दिया।
7. चेक बाउंस होने पर जुर्माना
अगर आपने EMI चुकाने के लिए जो चेक दिया है वो बाउंस हो जाता है, तो बैंक जुर्माना लगाता है।
यह चार्ज ₹300 से ₹750 या उससे भी ज्यादा हो सकता है।
8. ECS फेल होने पर चार्ज
अगर आपने EMI के लिए बैंक को ECS (ऑटो डेबिट) की अनुमति दी है, लेकिन खाते में पैसे नहीं हैं – तो बैंक ECS रिटर्न चार्ज लेता है।
इस वजह से बैंकिंग इतिहास पर बुरा असर पड़ सकता है।
9. GST और टैक्स का झटका
हर चार्ज पर 18% GST भी अलग से देना पड़ता है
जैसे ₹1,000 की फीस है, तो कुल ₹1,180 देना होगा।
10. एडमिनिस्ट्रेशन फीस – आंतरिक खर्च का बहाना
कुछ बैंक अपनी प्रोसेसिंग टीम के खर्च को एडमिन फीस के नाम पर आपसे वसूलते हैं।
इसकी जानकारी आपको शुरुआत में दी नहीं जाती।
11. ब्याज दर बदलने पर रीसेट फीस
अगर आपने फ्लोटिंग इंटरेस्ट वाला लोन लिया है, तो कुछ समय बाद बैंक ब्याज दर को बदल सकता है और इस पर एक रीसेट फीस भी ले सकता है।
12. प्रॉपर्टी की वैल्यू चेक करने की फीस – टेक्निकल वैल्यूएशन
अगर आपने होम लोन लिया है, तो बैंक आपकी प्रॉपर्टी की जांच करवाता है और उसकी फीस आपसे ही वसूलता है।
यह चार्ज ₹2,000 से ₹10,000 तक हो सकता है।
13. लीगल फीस – कानूनी जांच का खर्च
बैंक आपके डॉक्युमेंट्स की जांच अपने वकीलों से करवाता है और उसका खर्च भी आपसे लेता है।
अब सवाल ये है – इन सब छिपे खर्चों से कैसे बचें?
1. सब कुछ पहले ही पूछ लें
लोन लेने से पहले बैंक से सभी चार्जेस की लिस्ट मांगें और समझ लें।
2. लोन डॉक्युमेंट ध्यान से पढ़ें
बिना पढ़े कोई पेपर साइन न करें। Schedule of Charges खास तौर से देखें।
3. EMI समय पर चुकाएं
लेट फीस से बचने के लिए EMI की तारीख याद रखें या ऑटो डेबिट लगाएं।
4. ECS फेल न हो – खाता बैलेंस बना कर रखें
खाते में EMI से थोड़ा ज्यादा बैलेंस रखें।
5. लोन की तुलना करें
एक से ज्यादा बैंक के लोन ऑफर और छिपे चार्जेस की तुलना करें।